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Govind Narayan Sharma

Romance

4  

Govind Narayan Sharma

Romance

मुसाफ़िर

मुसाफ़िर

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इक लम्हा ठहरो तेरे माफ़िक निखर जाएंगे,

तेरे स्पर्श से रूहानी जज्बात बहक जाएंगे!


होंठों पर जब प्यार के दो नगमें गुनगुनाएंगे,

मख़मली आवाज से मुसाफ़िर ठहर जाएंगे!


हम तेरे आग़ोश बिन जिन्दा नहीं रह पाएंगे,

जिन्दगी का हर लम्हा तेरी बांहों में बिताएंगे!


ग़र तुम ना मिले तो मीन सा तड़प मर जाएंगे,

बिन खंजर क़त्ल का इल्ज़ाम सर लगाएंगे !


उल्फ़त इजहार एतबार इबादत कर पाएंगे,

दो जिगर इक रूह बन के दिली शुकूँ पाएंगे!


मुंतजिर तेरे जवाब का वरना बिखर जाएंगे,

दौलत शोहरत नहीं तेरी तलब एतबार पाएंगे!


परिन्दे की मानिन्द साये में लम्हा बिताएंगे,

इश्क़ की हर तड़प तेरे आलिंगन में मिटाएंगे!



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