छत पर एक लड़की रहती थी
छत पर एक लड़की रहती थी
छत पर एक लड़की रहती थी,
टकटकी लगाए , पलकें बिछाए
मेरी राह देखते- देखते मानो वह रह बन जाती थी ,
आज छत तो वहीं है, मगर वह लड़की नहीं है !
हां ! वही लड़की जो छत पर रहती थी !
मेरी राह में अपनी राह भुलाए,
मेरी एक झलक की खातिर अपनी पलकें बिछाए ..
छत पर एक लड़की रहती थी ...।

