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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

छत पर एक लड़की रहती थी

छत पर एक लड़की रहती थी

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202


 छत पर एक लड़की रहती थी,

 टकटकी लगाए , पलकें बिछाए

 मेरी राह देखते- देखते मानो वह रह बन जाती थी ,

आज छत तो वहीं है, मगर वह लड़की नहीं है !

 हां ! वही लड़की जो छत पर रहती थी !

मेरी राह में अपनी राह भुलाए,

मेरी एक झलक की खातिर अपनी पलकें बिछाए ..

 छत पर एक लड़की रहती थी ...।



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