उजाड़ उजाड़
किसकी नज़र की किरकिरी बन गई वो मासूम खिलती फूलों की क्यारी ? और स्वयं ही ईश्वर बन उजाड़ दिया, उस भव... किसकी नज़र की किरकिरी बन गई वो मासूम खिलती फूलों की क्यारी ? और स्वयं ही ईश्वर ...
विकास के जो चक्र चले कितने पुष्प जीवन न खिले। विकास के जो चक्र चले कितने पुष्प जीवन न खिले।
सुबह होती थी महकते फूलों के साथ, चंंद पैसो लिए उजाड़ बगिया ये हाथ, सुबह होती थी महकते फूलों के साथ, चंंद पैसो लिए उजाड़ बगिया ये हाथ,
जगह - जगह पर मानव तुमने कब्जा अपना जमाया है जगह - जगह पर मानव तुमने कब्जा अपना जमाया है
दीवारें घूमी कुछ आकर बोली मैंने सुना था दीवारें घूमी कुछ आकर बोली मैंने सुना था