STORYMIRROR

Awadhesh Uttrakhandi

Tragedy

2  

Awadhesh Uttrakhandi

Tragedy

मेरा पहाड़

मेरा पहाड़

1 min
3.2K

ऐ पहाड़ मेरे दुख को जाने तू

पर तेरे दुख को जाने कौन।।

होकर अभिलाषी मानव मन

कर दिया तेरा उजाड़ तन

जाने क्यों है तू मौन?

ऐ पहाड़ मेरे दुख को जाने तू,

पर तेरे दुख को जाने कौन।।


सूखे झरने सूखे खेत,

बह गया पानी सुप्त स्रोत।।

विकास के जो चक्र चले

कितने पुष्प जीवन न खिले।।

कहीं छिना मुकुट हिमाला।

कहीं वस्त्र धरा पेड़ पुष्प निराला।।

ऐ पहाड़ मेरे दुख जाने तू,

पर तेरे दुख को जाने कौन?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy