उमंग और बहार
उमंग और बहार
गुनगुनाती धूप में न मन करता है उठने को।
साथ में मिल जाये चाय के सँग
पकोड़ा जो।
फिर दिन अपना हो जाये खुशियों से गुलजार।
बस एक कप चाय ही तो पी है।
जो दूजी भी मिल जाये तो
हिय में हो हर्ष अपार।
ठंड के हौसले को करता पस्त
ये सूरज का प्यार।
लग रहा मानो मौसम रंगीन
जीवन में हो उमंग की बहार।

