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sai mahapatra

Romance

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sai mahapatra

Romance

प्यार

प्यार

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ख़त तुम्हें लिखते है पर देने से

ना जाने क्यूँ घबराते हैं


हर वक्त तुम्हारे ही बारे में सोचते हैं

पर कहने से ना जाने क्यूँ घबराते हैं 


यह मुझे क्या हुआ है आजकल

कुछ पता ही नहीं चलता


कहां जाना है क्या करना है

कोई हमें बताने बाला नहीं मिलता


अब तुम्हीं बताओ मेरी दिल में क्या है

मैं किसी और को बताऊं


कहीं ज़ुबान से तुम्हारा नाम ना

निकल जाए बस इसलिए डर जाता हूं


जब से तुमको देखा तुम्हारे

चेहरे से नज़र हटता नहीं है


हमें तुमसे हो गया है प्यार यह तुमको

कैसे बताएं कुछ समझ आता नहीं है।


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