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sai mahapatra

Others

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sai mahapatra

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सच

सच

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हम जिसे मिट्टी समझते थे वो सोना निकला

हम जिसे अपना दुश्मन समझते थे

आज वही हमारा अपना निकला

हम मर जाएंगे पर अपना ईमान नहीं बेचेंगे

जबतक ज़िंदा है तब तक सच बोलना

नहीं छोड़ेंगे

हम दिल के सच्चे है हम भले ही दूध में

पानी मिलाते है


पर

घर पे अगर कोई अतिथि आए तो खुद ना

खाकर भी उसे भर पेट खिलाते है

हम जानते है जब हम इस दुनिया को छोड़कर

जाएंगे हमें याद रखने वाला कोई नहीं होगा

जो इंसान सारी उम्र मेरी बुराई करता रहा

वो भी मुझे अच्छा इंसान कहकर जाएगा

पर

मेरे घर में रुककर मेरे मां के आँखो से बहते

आँसू पोछने के लिए कोई नहीं होगा



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