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sai mahapatra

Tragedy

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sai mahapatra

Tragedy

जब पानी चाहिए

जब पानी चाहिए

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जब पानी चाहिए तब बारिश नहीं होती

जब धूप चाहिए तब सूरज नहीं निकलता

इए कैसा ज़ुल्म है मेरे ऊपर ऊपर वाले का

मैं जिसे सबसे ज्यादा प्यार करता हूं

वो ज्यादा देर तक मेरे पास नहीं रहता

आज बहुत दूर हो तुम हमसे

आज बहुत दूर है हम तुमसे।

एक वक्त था जब हम तुमसे अलग रहने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे

तुम थोड़ी देर हमसे दूर जाती थी तो हर वक्त घड़ी को देखा करते थे

आज इए कैसा दिन दिखा रहा है हमें हमारी क़िस्मत

जिसको हम अपने से भी ज्यादा प्यार करते थे वो आज बनने जा रही है और किसी की अमानत

तुम कैसे भूल गई हमारे बरसों के प्यार को बस एक ही पल में

तुम हमारे जानू से किसी और का बेबी और सोना होने जा रही हो आने वालेे कल में।


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