कौन है गुनहगार
कौन है गुनहगार
कोई तो बता दो मुझे भाई
कौन है गुनहगार ।।
परंपरा जहां सूली चढे
धर्म के नाम पर हो तकरार,
देश हमारा बंट रहा है
जात-पात के आधार ।।
प्रशासन की सारे जड़ तो
भ्रष्टाचार की शिकार,
मन लुभाने भाषण से भी
कमी नहीं है व्यभिचार ।।
आंखों में पट्टी बांधी है कानून
बढ़ रहा काला बाजार,
बड़े-बड़े आज लूट गए हैं
कंगाल है सरकार ।।
अर्ध उलग्न होकर नाचे
हे उनके अधिकार,
लाज शरम सब भूलकर
करते हैं कारोबार ।।
चारों तरफ में शोर मचा है
धनकी गूंजे जयकार,
कैसे जीएगा दरिद्र यहां
पड़ा है महंगाई की मार ।।
मेहनत करके अनाज उगाए
फिर भी मिले तिरस्कार,
भूख से मरे गरीब जनता
कौन है इसके गुनहगार ।।