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Priyabrata Mohanty

Children Stories Drama

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Priyabrata Mohanty

Children Stories Drama

बिक रहे हैं

बिक रहे हैं

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पूजा हो या प्रार्थना,

सेवा हो या साधना,

बिक रहे हैं सपने यहां,

कैसे करूं मैं साधुताकि कल्पना


गैर हो या हो अपना,

जीवन हो या हो जमाना,

बिक रहे हैं रिश्ते यहां,

कौन समझेगा मेरा भावना


धन के पीछे होके दीवाना,

अच्छे बुरे के भेद ना जाना,

लूट मची है स्वार्थ की यहां,

कहां होगा फिर मानवता की ठिकाना।


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