आशा
आशा
1 min
235
दिन प्रतिदिन निष्ठा के साथ
श्रम करें सुबह शाम,
डॉक्टर भांति करती है काम,
आशा है उनके नाम।।
थैला पकड़ के घर से निकले
घूमे गांव से गांव,
सरकार की बातें कहती वहो जाए
चाहे धूप हो या छांव।।
अपनी व्यथा को सबसे छुपा कर
निकल चली है आगे,
जनकल्याण की भार लेकर,
घर-घर वो तो भागे।।
गर्भवती या महिला बच्चे
सभी की रखा है खयाल,
कोरोना जंग से लड़कर आज
खुद को किया है घायल।।
बड़े-बड़े जब कर ना पाए
कर दिखाई अपनी काम,
अभूतपूर्व कार्य हेतु
सब करे तुझे सलाम।।
