sai mahapatra

Abstract

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sai mahapatra

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मेरी मां

मेरी मां

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‌आजकल के पिज़्ज़ा बरगर में वो मजा कहां

जो मेरे मां के बनाए हुए कचौरी में आता था,

आजकल के एनर्जी ड्रिंक में वो एनर्जी कहां

जो मेरे मां के बनाए हुए नींबू शरबत में मिलता था,

आजकल के सिंगर सब मेरे मां के आगे पानी भरते हैं

मेरे मां की लोरी के आगे सब फ़ीके पड़ जाते हैं,

बड़ा से बड़ा पलंग पड़ जाता है छोटा

मुझे तो नींद मेरी मां की गोदी में ही आती है,

मेरी उम्र आज साठ की हो गई है

और मेरे मोहल्ले में रहने वाले लोग मुझे बूढ़ा बुलाते हैं

पर मेरी मां मुझे अभी तक बच्चा बुलाती है,

आज भी रात को मैं सो जाता हूं मेरी मां जगा करती है,

आज भी मेरी मां बिल्कुल नहीं बदली बचपन की तरह

वो आज भी रातभर जगकर मेरे सिर दबाया करती है।


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