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Kumar Naveen

Abstract

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Kumar Naveen

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पहेली

पहेली

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क्या पाना, क्या खोना जग में,

हम सब तो एक खिलौना हैं ।

अपना करतब दिखा रहे हैं,

क्या अद्भुत जादू-टोना है ।।

डोर बँधी कठपुतली हैं हम,

किस्मत लिखी हथेली है ।

सुलझ सके तो हमें बताना,

जीवन अनबूझ पहेली है ।।


सुख-दु:ख दोनों ही संग चले,

फिर हँसना और क्या रोना है।

साँसों की डोर पे मौत टिकी,

ये कैसा रहस्य सलोना है ।।

जिन्दगी साथ छोड़ देती पर,

ये सच है, मौत सहेली है ।

सुलझ सके तो हमें बताना,

जीवन अनबूझ पहेली है ।।


जितना सुलझाएँ, हम उलझें,

जीवन की छोर निराली है।

जीएँ जी भर, बस ये जानें,

दिन होली, रात दिवाली है ।।

जीवन की बगिया को सींचें,

जैसे कचनार, चमेली है ।

सुलझ सके तो हमें बताना,

जीवन अनबूझ पहेली है ।।



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