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sai mahapatra

Abstract

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sai mahapatra

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कोई गाँव में रहता है

कोई गाँव में रहता है

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कोई गाँव में रहता तो कोई शहर में रहता है

किसीके पास करोड़ों होकर भी वो दुःखी है

और कोई गरीबी में भी खुश रहता है

कोई गाँव में रहता तो कोई शहर में रहता है

किसीके पास मुलायम बिस्तर है

तो कोई जमीन पे सोता है

किसीके लिए सड़क का फ़ुटपाथ ही

उसका घर है तो किसीके के पास

बड़े बड़े घर होकर भी वो बेघर है

कोई गाँव में रहता तो कोई शहर में रहता है

किसको मिलता है उसके

मनचाहा खाना तो कोई

दो वक्त की रोटी केलिए तरस जाता है 

कोई गाँव में रहता तो कोई शहर में रहता है

यहां कोई पढ़ने के लिए अच्छे से अच्छे

अनुष्ठान में जाता है

  तो कोई कोई जहां अपनी

भुख़ मिटाने के लिए पत्थर तोड़ता है



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