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sai mahapatra

Tragedy Inspirational

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sai mahapatra

Tragedy Inspirational

मेरे देश की बात

मेरे देश की बात

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आज ये दूरियाँ क्यों आ गई है तुम्हें और हम में

ना जाने वो कौन मंथरा बन बैठी है तुम्हें और हम में

मैं बस ख़ामोश था सही वक्त का इंतजार कर रहा था

पर मेरे अपने ही मुदा समझ बैठे हमको


वो लोग गैर थे हमारे लिए उनसे हमारा ना था

दूर दूर से कोई नाता था ना ही कोई रिश्ता

पर जब चुनाव सामने आया तो

वो लोग हमको हमारे सगे होने का एहसास कराने लगे


ये आज के वक्त का तकाजा है ना है आज के

सियासतदानों की निजी ज़रूरत

जिस में धर्म के नाम पर एक दूसरे को बाँटना ही है

उनके लिए सियासत में टिके रहने के लिए बड़ी दौलत


अरे आजकल के सियासतदान लोगों का भला क्या

करेंगे जो राजनीति को कारोबार समझते है

जो भाई भाई के बीच दंगे करवाने को होली और

दीवाली का त्यौहार समझते है


अब तुम्हीं बताओ कब तक चला रहेगा ये कारोबार और 

कब तक छीना जाएगा किसी मासूम से उसका अधिकार

अब बहुत हुआ मेरे भाई और बहनों अब तो सही चुनो

इस देश की आने वाली पीढ़ियाँ तुमसे उम्मीद लगा के

बैठी है अब तो उनकी आवाजें सुनो


आओ एक नया हिंदुस्तान हम सब मिलकर बनाए

जिसमे सबको मिले सबका अधिकार

जिसमे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब मिलकर रहे और

ना हो कोई दंगे और ना हो कोई फसाद

सब साथ मिलकर हमारे देश को आगे बढ़ाएं



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