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sai mahapatra

Abstract

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sai mahapatra

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हौसला रख

हौसला रख

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हौसला रख उम्मीद रख भरोसा रख

अपनी जेब में थोड़ी सी अपनी

मां के पैरो की धूल लाकर रख

बड़े से बड़ा मुकाम तू अपने

आप हासिल करता चला जाएगा


तू अपने आप को पाक साफ़ बना

ए पूरी दुनिया तुझे अच्छा और

सच्चा नज़र आता चला जाएगा

इए दुनिया इतनी बूरी नहीं है 

जितनी तुम समझते हो


इस दुनिया में रहने वाले

लोग सब तुम्हें बहत प्यार करते है

तुम कियू ना जाने इसे धोखा समझते हो

घर पुराना हो जाए फ़िर भी

अपना घर अपना लगता है


कोई अपना जब दुःख दे तो

ख़ामोशी से सह जाना पड़ता है और

कल तक में बेहोश था

आज होश में आया हूं


बड़े दिनों बाद में अपने आप से

नज़र मिला के आया हूं

और एक हवा का झोंका आ जाने जो

बुझ जाए में वो दिया नहीं हूं


तुम हमें समझते तो एक

मामूली इट अपने घर का

आरे में तुम्हारे घर का बुनियाद हूं

बस बताता नहीं हूं।


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