STORYMIRROR

Kusum Lakhera

Tragedy

4  

Kusum Lakhera

Tragedy

मुझे आज़ादी कब मिलेगी ..

मुझे आज़ादी कब मिलेगी ..

1 min
352


वह पूछती है माँ ...

मुझे आज़ादी कब मिलेगी ?

जैसे घूमता है भाई ....

मोटरसाइकिल से नाप आता है !

शहर सारा.........

और बड़े गर्व से कहता है ..

बहुत मज़ा आया .....

जैसे पापा कोने की दुकान 

पर घन्टों बतियाते हैं ...

फिर फोन करो ..

तब घर आते हैं !

जैसे दादा शाम को 

पार्क चले जाते हैं और 

फिर हमउम्र लोगो के साथ 

बैठकर चार घन्टे बाद घर

आते हैं ......

उनसे क्यों नहीं किया जाता

सवाल !!!

बस मैं एक भी मिनट देर से आती

हूँ ...

तो होता है बवाल !!!

क्या सिर्फ़ इसलिए कि मैं एक 

लड़की हूँ .....

या सिर्फ़ इसलिए कि वे सब लड़की

नहीं हैं !!!

जबकि आज़ादी को लाने में सबने भूमिका

निभाई थी !!!

पर ये लड़कियाँ फिर भी कई मायनों में 

अब भी आज़ाद नहीं है !!!

माँ ने कहा  "बिटिया कहा तो तूने

शत प्रतिशत सही है !!!

पर तेरे प्रश्न का उत्तर मेरे पास नहीं है !!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy