खरीददार
खरीददार
सुना है,
कफ़न में "जेब" नहीं होती,
न तिज़ोरी कब्र में।
फिर भी, भागे जा रहा बंदा,
लूट मार ,
और जेब काट रहा बंदा।
अपने दुख से नहीं,
दुसरे के सुख से,
दुःखी है बंदा।
ईमान,
चंद सिक्कों में बिकता है,साहब,
आत्म सम्मान, स्वाभिमान,
बस किताबी बातें।
हर चीज़ की कीमत है यहां,
बस भावनायों और इंसानियत,
का कोई खरीददार नहीं।