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Ambika Nanda

Abstract

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Ambika Nanda

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रिश्ते...

रिश्ते...

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रेशम के धागों से,

कभी उलझे - उलझे,

कभी सुलझे से।


कभी रंग बिरंगे,

कभी बदरंग से।


ज़िन्दगी की धूप छांव में,

कभी खट्टे,

कभी मीठे से।


बेफिजूल की अना से दरदराते से,

मुश्किल वक्त में हाथ बढ़ाते से।


यह रिश्ते, कुछ उलझे, कुछ सुलझे से।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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