रिश्ते...
रिश्ते...
रेशम के धागों से,
कभी उलझे - उलझे,
कभी सुलझे से।
कभी रंग बिरंगे,
कभी बदरंग से।
ज़िन्दगी की धूप छांव में,
कभी खट्टे,
कभी मीठे से।
बेफिजूल की अना से दरदराते से,
मुश्किल वक्त में हाथ बढ़ाते से।
यह रिश्ते, कुछ उलझे, कुछ सुलझे से।
रेशम के धागों से,
कभी उलझे - उलझे,
कभी सुलझे से।
कभी रंग बिरंगे,
कभी बदरंग से।
ज़िन्दगी की धूप छांव में,
कभी खट्टे,
कभी मीठे से।
बेफिजूल की अना से दरदराते से,
मुश्किल वक्त में हाथ बढ़ाते से।
यह रिश्ते, कुछ उलझे, कुछ सुलझे से।