STORYMIRROR

Ambika Nanda

Abstract

4  

Ambika Nanda

Abstract

रिश्ते...

रिश्ते...

1 min
234



रेशम के धागों से,

कभी उलझे - उलझे,

कभी सुलझे से।


कभी रंग बिरंगे,

कभी बदरंग से।


ज़िन्दगी की धूप छांव में,

कभी खट्टे,

कभी मीठे से।


बेफिजूल की अना से दरदराते से,

मुश्किल वक्त में हाथ बढ़ाते से।


यह रिश्ते, कुछ उलझे, कुछ सुलझे से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract