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Ambika Nanda

Abstract

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Ambika Nanda

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रंगोत्सव

रंगोत्सव

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हैं कितने ढेर सारे रंग इस जिंदगी के,

देखो तो जानो, एहसास करो तो मानो।


सुहाग का लाल,गमी का सफेद,

खुशहाली का हरा,आंतक का काला।


कितनी भावनाओं की अभिव्यक्ति है,

इन रंगों से।


सुख की,दुख की, ज़ुबान हैं, यह रंग,

चुपचाप कितना कुछ बयान कर देते हैं,

कितनी खुशीया़ँ , कितने ग़म ,

लाते हैं यह अपने संग।


नवयौवना की चूनर हो या आसमान में उड़ती पतंग,

हो मन्दिर की शोभायात्रा,या किसी की अंतिम यात्रा।


यह रंग ही तो हर माहौल को चित्रित करते हैं।

भावनाओं की अभिव्यक्ति करते हैं।


न हों यह जीवन में तो कितना बेरंग हो जायेगा सब।

खुशियों के रंग, परेशानियों, उलझनों और सुलझनों के रंग।

किसी से प्यार, किसी से इर्ष्या के रंग।


जीवन है, क्योंकि एहसास है इनका,

पुछना कभी किसी दिव्यांग से,जो केवल काला स्याह ही देख पाते हैं।


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