STORYMIRROR

Ambika Nanda

Abstract

3  

Ambika Nanda

Abstract

मुलाकात

मुलाकात

1 min
321


हर मुलाकात पर,

घर के बच्चे बड़े,

कुछ और बड़े।


और बुजुर्ग,

कुछ ज़्यादा ही बूढ़े

से लगते हैं।


जीवन के हर पहलू,

में रिश्तों की परतें,

कुछ उलझने, कुछ सुलझने लगी हैं।


हर अवस्था, हर पड़ाव,

एक सीख।


समय की गर्भ में हैं,

हर ख़ुशी - ग़म,

हर अनिश्चितता।


यथार्थ की धरातल पर,

समय की रेत पर बस

कुछ किस्से ही रह जाने हैं।


खाली और अकेले आये हैं,

ऐसे ही जाने हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract