सिंदूर तेरे नाम का
सिंदूर तेरे नाम का
मन्नत का धागा हाथों में
थाल पूजा की सजाई हूं
अपने मांग की रेखा में
सिंदूर तेरे नाम का लगाई हूं
लेकर सौगंध अब तेरी मैंने
तेरी सौगंध से सौगंध लगाई हूं
अब जियूं मरूँ मैं तेरे लिए
तुझ से ये जो प्रीति लगाई हूं
बन के कतरा लहू का
मैं तेरी नब्ज नब्ज में समाई हूं
तू चलना मेरी श्वासों में
मैं तेरी ही तो इक परछाई हूं।

