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Tanmay Mehra

Tragedy Inspirational

4.5  

Tanmay Mehra

Tragedy Inspirational

तू बहता रहा सरहद पर

तू बहता रहा सरहद पर

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बहती हुई इन नदियों में

तेरी दिखती रही झलक रांझे

उस ठंडे शीतल सरहद पर

जब तू रहा था दहक रांझे


लाल था श्वेत हिमालय तब

जब तेरे खून का कतरा बहा रांझे

अपना सब सुख दुःख तूने

ख़ातिर देश सहा रांझे


झरनों की इन आवाज़ों में

मैं सुनती रही बोल तेरे रांझे

जब भारत माँ के आंचल में

तूने लिख  दिए मोल अपने रांझे


धन्य हुई वो माँ रांझे

तेरे साँसों में थी जिसकी सांसे

रोई थी भारत माँ भी तब

जब सरहद पर थी बिछी लाशें


टूटे कंगन के टुकड़ों में

तब स्पर्श तेरा होता रांझे

और झूमर बिन्दी खनकते

गहने जब साथ में तू होता रांझे


हुई मैं शून्य तेरे बिन रांझे

मैं जीते जी कुछ थम सी गई

तू बहता रहा उस सरहद पर

मैं पिघली और फिर जम सी गई


झुका कर शीश तेरे चरणों में

हुआ ये जग पावन रांझे

होली दीवाली सब फ़ीके

अब फ़ीके हैं सावन रांझे


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