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Tanmay Mehra

Classics

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Tanmay Mehra

Classics

माँ तेरी परछाई

माँ तेरी परछाई

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खुद ओढ़ी चादर मैली सी

मुझे ओढ़ाई तूने धुली धुलाई है


हाथ जलाये चूल्हे में

माँ मीठे मीठे पकवान तू पकाई है


रूखी सुखी खाये खुद

मुझे माखन मिश्री सा भोग लगाई है


कैसी करुण ममता है तेरी माँ

सारी कायनात जो तुझ में समाई है


तू लिये सारे कष्ट सिर पे

मेरे कष्टों में तू बनी दुर्गा माई है


मैं जब भी गिरा और सम्भला 

संग चली तेरी दुवाओं की परछाई है



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