मेरा कश्मीर
मेरा कश्मीर
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हैं तम्मना दिल की अब
मैं छू दरिया ए नीलम को
उस वादी ए कश्मीर में
मैं जियूं हर घड़ी हर पल को
बैठ छांव दरख्त ए चिनार की
ले लूं रस मीठे गुलनार की
सुनहरी धूप लिए गगन
धरा ओढ़े श्वेत चादर बर्फ की
हाँ वादी में लहराये तिरंगा
है यही अब लालसा अर्श की
तब मैं मिलूं उन अपनों से
जो बिछुड़े थे वादी ए कश्मीर में
ले लूं रंग सब धनक के
और उतार दूं मन रुपी तस्वीर में