मेरा घर डूबता है
मेरा घर डूबता है
ए घनघोर घटाओं
तुम्हारे यूँ रिमझिम बरसने से
खेतों में हरियाली का दीया जलता है
धूप की तपन से झुलसी हुई, इन कलियों को
जीवन नया मिलता है
किसानों की अन्धकारमय हो रही
कठोर मेहनत पर
सपरिणाम एक नया सवेरा उगता है
परंतु तुम्हारे यूँ रिमझिम बरसने से
मेरा घर डूबता है
तुम नहीं जानते इन बूंदों के जमीं पे गिरने से
मेरे मन में हलचल अजीब होती है
तुम नहीं जानते तुम्हारे यूँ रिमझिम बरसने से
एक जीती जागती मौत मेरे करीब होती है
मैं जानती हूँ
तुम्हारे आगमन से ही
धरती पर स्वर्ग का बसेरा है
मैं मानती हूँ
तुम्हारे बड़प्पन से ही
भरता पेट सबका और मेरा है
मैं अपने इस दुःखित मन का हाल
तुम्हें कैसे सुनाऊँ?
कि मेरा इस घर में रहना एक मजबूरी है
क्योंकि यहाँ जीने के लिए
रोटी कपडे़ के साथ
एक छत का होना भी जरूरी है
क्यों अपना ये रौद्र रूप धर कर
मुझे और मेरे जैसे जर्जर लोगों को
डरा रहे हो
जिन्हें जिंदगी से जीतने की कोई उम्मीद नहीं
तुम तो उन्हें
हारने से पहले ही हरा रहे हो
बस करो!
बूंदों के रूप में चलते तुम्हारे ये बाण
मुझसे सहे नहीं जाते
शनै- शनै करीब आती इस मौत के ये सिलसिले
मुझसे कहे नहीं जाते
तुम्हारा शांति रूप तो सबके लिए वरदान है
पर तुम्हारी ये भयानकता
ले रही कितनों की जान है
हे शीतल बूँदों
ये न तुम्हारी महिमा न प्रभुता है
क्योंकि इन स्वरूपों से
मेरा घर डूबता है
मेरा घर डूबता है।
