प्रकृति के तत्वों से गुजारिश (भाग -2)
प्रकृति के तत्वों से गुजारिश (भाग -2)
हर रिश्ते की नींव कहलाने वाले
दुश्मन को भी दोस्त बनाने वाले
प्यार के नाम से जाने, जाने वाले
ए " प्यार "
मेरे साथ चलो
तुम्हारे बिना तो जीवन की कल्पना भी बेकार है
इस संसार में सबसे बड़ी सिर्फ तुम्हारी सरकार है
जबसे धरती पर जन्म लिया
सबसे पहले ममता के रूप में मिला तुम्हारा साया है
जीवन के हर रिश्ते में, बस तुमको ही पाया है
तुमने ही दो अंजानो को
सच्चा मित्र बनाया है
तुमने ही हर रिश्ते को
फूलों की तरह खिलाया है
दुश्मन को भी कभी- कभी मित्र तुम बनाते हो
"प्यार" जादूगर हो क्या तुम कोई
जो इतनी जादूगरी दिखाते हो
सच में तुम इस दुनिया में सबसे न्यारे हो
सबकी जिंदगी में रहने वाले प्यार
तुम सबसे प्यारे हो
मनुष्य के सपनों को हकीकत में बदलने वाली
ए " सफलता "
मेरे साथ चल
तेरे बिना तो मनुष्य का अस्तित्व डगमगाया है
तेरे ही कारण सबने अपना सपना सच कर दिखाया है
तूने ही सबको बुलन्दियों तक पहुँचाया है
तेरे ही दम से हर किसी ने
स्वयं को भीड़ से अलग बनाया है
तू न होती तो
कोई भी महान लेखक, डॉक्टर, देश का राष्ट्रपति
कभी न बन पाता
तू न होती तो कोई भी इस धरती से उस चाँद तक
कभी न पहुँच पाता
तू तो मनुष्य का अभिमान है
तेरे ही करम से सबकी आन- बान और शान है।
