रोशनी को फैला कर, अंधेरे को कर दे नौ दो ग्यारह। रोशनी को फैला कर, अंधेरे को कर दे नौ दो ग्यारह।
आज भी मन चक्षु के किसी कोने में पहाड़ पर साँझ की खामोशी व्याप्त है। आज भी मन चक्षु के किसी कोने में पहाड़ पर साँझ की खामोशी व्याप्त है।
ये दिवाली चश्मदीद गवाह है मेरी नाकामियों की। ये दिवाली चश्मदीद गवाह है मेरी नाकामियों की।
मैं आशा की लड़ियाँ पिरोती रही इक दीया सी भी ज्योति न मुझको मिली। मैं आशा की लड़ियाँ पिरोती रही इक दीया सी भी ज्योति न मुझको मिली।
आप हँसे जीवन में हर पल बीएस यही दुआ हम करते हैं इस वर्ष दिवाली का दीपक सप्रेम समर्पित करते हैं आप हँसे जीवन में हर पल बीएस यही दुआ हम करते हैं इस वर्ष दिवाली का दीपक सप्...
और तब आलोकित हो जाता है मेरा सारा तम मय जीवन...। और तब आलोकित हो जाता है मेरा सारा तम मय जीवन...।