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Anjuman Mansury

Drama

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Anjuman Mansury

Drama

दीया

दीया

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तम से मेरे संघर्षों को देख...

मेरे संध्या वंदन के लिए...

रख देती है माँ। 


मेरे मन की मिट्टी के दीये में...

हौसलों के घी से भीगी बाती..

और इस तरह

मेरी जीवन आराधना का दीया..

सहारों की दियासलाई के,

 

स्पर्श से पहले ही 

ज्योतिर्मय हो उठता है...

ममतामई माँ के नेह से,

 

और तब 

आलोकित हो जाता है

 मेरा सारा तम मय जीवन...।


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