सोना धरती कर दी पीतल
सोना धरती कर दी पीतल
बड़, आम, आँवला और पीपल,
रत्नों पर भारी तुलसी-दल।
हर पेड़ का हमसे नाता है,
हर पेड़ सुखों का दाता है।
कचनार, अनार, कदली, सेमल,
छाया इनकी अमृत शीतल।
जहाँ प्रकृति पूजी जाती है,
कपास से बनती बाती है।
हर पेड़ प्रभु का निवास है,
जिस पर हमको विश्वास है।
दूर्बा गणपति जी को भाती,
कृष्णा ने लिखी पीपल पाती।
लक्ष्मी जी को भाता गुड़हल
रत्नों पर भारी तुलसी-दल।
जहाँ नीम की ठंडी छाया है,
वहाँ निरोगी रहती काया है।
ऋषियों ने आयुर्वेद लिखा,
हर पेड़ का औषधीय भेद लिखा।
भृंगराज, शंखपुष्पी, ब्राह्ममी,
विश्व मे सिरमोर हम ही हैं हम ही।
सम्मान मे आगे है श्रीफल
रत्नों पर भारी तुलसी -दल।
नदियों खुद ही अब प्यासी हैं,
पेड़ों की आँखें उदासी हैं।
अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि छेले,
खुद अपने भविष्य से हम खेलें।
धर्मों की भूले सब सीखें,
अब व्यथित हुए रोऐं चीखें।
सोना धरती कर दी पीतल
रत्नों पर भारी तुलसी -दल।
बड़ आम आँवला और पीपल,
रत्नों पर भारी तुलसी-दल,
छाया इनकी अमृत शीतल।