STORYMIRROR

Anjuman Mansury

Others

3  

Anjuman Mansury

Others

ज़िंदगी फिर से ख़ार कौन करें

ज़िंदगी फिर से ख़ार कौन करें

1 min
245

ज़िंदगी फिर से ख़ार कौन करे,

प्यार अब बार बार कौन करे।


प्यार मीरा सी इक इबादत है,

प्यार को दागदार कौन करे।


जिसके किरदार में न खुशबू हो,

ऐसी सूरत से प्यार कौन करे।


प्यार है इक सदा खामोशी की,

प्यार को इश्तहार कौन करे।


प्यार की राह पुर ख़तर है मगर,

प्यार में होशियार कौन करे।


कितने दरिया बहा दिए रो के,

आँख अब अश्क़ बार कौन करे।


राह देखी है उसकी सदियों तक,

और अब इंतजार कौन करे।


जिसकी रग़ रग़ में हो फरेब भरा,

उस पे अब एतबार कौन करे।


मुझ को कहता है वो महादेवी,

उन सी कविता हज़ार कौन करे।


गर नहीं है खुशी जमाने में,

ग़म की दहलीज़ पार कौन करे।


'आरज़ू' खुश्क हो गयी दिल की,

अब ख़िज़ा को बहार कौन करे।


 


Rate this content
Log in