STORYMIRROR

Anjuman Mansury

Others

4  

Anjuman Mansury

Others

आख़िर किस लिए

आख़िर किस लिए

1 min
384


     


हो गया नाकाम आख़िर किस लिए,

अम्न का पैग़ाम आख़िर किस लिए ।


क्या यही है सच बयानी का सिला,

उफ़ ! ये क़त्लेआम आख़िर किस लिए ।


ख़ौफ़ से तेरे न सच बोला कोई,

फ़िर मचा कोहराम आख़िर किस लिए ।


दल बदल कर दल सभी दल दल हुए,

वोट दे आवाम आख़िर किस लिए ।


चाँद है बेनूर फिर भी है निजाम,

अंजुमन गुमनाम आख़िर किस लिए ।


ज़िंदगी भर रक्स करके भी यहाँ,

रंज सुब्ह-ओ-शाम आख़िर किस लिए ।


'आरज़ू' आग़ाज़ कर जब साथ रब

सोचना अंजाम आख़िर किस लिए ।


  


Rate this content
Log in