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Anjuman Mansury

Abstract Tragedy

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Anjuman Mansury

Abstract Tragedy

मोमबत्ती मशाल कर दो अब

मोमबत्ती मशाल कर दो अब

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एक ऐसा कमाल कर दो अब,

ख़त्म सारे सवाल कर दो अब।


वो जो इज्ज़त पे चोट करते हैंं, 

उनका जीना मुहाल कर दो अब।


खाल खिंचवा के जूतियाँ मारो,

सीन्फ़ उनका ज़वाल कर दो अब।


गर न इंसाफ कर सके सरकार,

अपने दम पे बवाल कर दो अब।


मौत मांगे ये गिड़गिड़ा करके,

ज़िंदगी ही मलाल कर दो अब।


आओ लंका दहन करें मिलकर,

मोमबत्ती मशाल कर दो अब।


इनको फांसी दो बीच चौराहे,

'आरज़ू' ये निहाल कर दो अब।


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