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Sonam Kewat

Abstract

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Sonam Kewat

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प्यार और दोस्ती

प्यार और दोस्ती

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जिससे रुबरु मिलना होता नहीं है

वह आज खुद मिलने आया है 

मैं तो गले लगाने चलीं थीं पर

पता चला वो शादी का न्योता लाया है 


कहां शादी में जरूर आना 

तुम्हारे जैसा दोस्त सच्चा लगता है 

मेरे आँसू संभलकर कहने लगे

शायद इसे तेरा रोना अच्छा लगता है


मेरे मना करने पर भी तुम्हारा

रात भर बाते करना सही था क्या

जो बाहों में बाहें डाल घूमते थे

तो बताओ वो प्यार नहीं था क्या


अरे जाओ बहुत देखें है आजकल

जो प्यार को दोस्ती का नाम दे जाते हैं

हम उनमें से नहीं है क्योंकि हम तो

प्यार और दोस्ती को अलग रखना चाहते हैं


मैंने भी कह दिया जाने दो सब कुछ

हम हमारा कोई वास्ता नहीं है

तुम्हें मुझ तक फिर पहुंचा जाए

ऐसा कोई रास्ता नहीं है


याद रखों अगर दोस्त बनना है तो

सिर्फ दोस्ती का फर्ज निभाओ

और प्यार करना है तो पहले

रूह तक उतरकर दिखाओ !



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