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R Rajat Verma

Abstract

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R Rajat Verma

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दोस्त

दोस्त

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है हंसता वो तो अच्छा लगता है,

भाई जैसा दोस्त वो सच्चा लगता है,

मन करता है कभी टूटे न ये सपना,

मेरे दोस्त का साथ अच्छा लगता है।


करता है वो ढेरो शैतानियां,

डांट खाते देख मुझे अच्छा लगता है,

देखता है वो तिरछी निगाह से मुझे,

उसका वो डराना मुझे अच्छा लगता है।


बचपन का वो साथ उसका,

जवानी में भी सच्चा लगता है,

कहता है खून पिएगा बुढ़ापे तक,

उसके साथ समय बिताना अच्छा लगता है।



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