पराए घर
पराए घर
चली मैं पराए, घर से पराए,
सोचा कहीं कोई, अपना बुलाए,
छली मैं यहां गई, छली मैं वहां गई,
बचपन की देवी, छली हर जगह गई,
चली मैं पराए, घर से पराए।
इच्छा है मेरी, बाबुल सुने जो,
कंधे पर बैठा, सपने चुने जो,
साथ हां मेरा, जन्मों निभाए,
बाबुल ढूंढ़, पिया ऐसा लाए,
चली मैं पराए, घर से पराए।
पहला दिन था, दिल में थे सपने,
गैरों के घर में, ढूंढ़े कुछ अपने,
सास ससुर में, मां बापू ढूंढ़े,
कुछ ही दिन में, वो रंग अपना दिखाए,
चली मैं पराए घर से पराए।
सासू के ताने, नंद के बहाने,
देवर भी मेरा, जी, हां जलाए,
काम मैं करती, सब कुछ मैं सहती,
ताक में रहती, कोई घर से आए,
चली मैं पराए, घर से पराए।
पैर थे सूजे, सेकन थी करनी,
पानी गरम कर, मांगी जो भरनी,
सासू बोली, बरतन नहीं है,
सोचा मैंने, कोई इन्हें याद दिलाए,
चली मैं पराए, घर से पराए।