सच्चा प्यार कहाँ मिलता जनम जनम का साथ कहाँ सच्चा प्यार कहाँ मिलता जनम जनम का साथ कहाँ
ज़िन्दगी और कुछ नहीं हसीं कशमकश है ज़िन्दगी और कुछ नहीं हसीं कशमकश है
कौन हैं अपने कौन पराए, कहाँ प्रेम में हैं सीमाएं। कौन हैं अपने कौन पराए, कहाँ प्रेम में हैं सीमाएं।
कभी लहरों संग लहराते कभी पंछियों संग उड़ते कभी लहरों संग लहराते कभी पंछियों संग उड़ते
जब पास में होंगे सब अपने, आशा के दीप जलाऊंगा हर रोज़ मेरी होगी होली, दीवाली रोज़ मनाऊंगा जब पास में होंगे सब अपने, आशा के दीप जलाऊंगा हर रोज़ मेरी होगी होली, दीवाली रोज़ ...
सिलना चाहता हूं किफायत से ताकि औरों के लिए भी कुछ बचा सकूं। सिलना चाहता हूं किफायत से ताकि औरों के लिए भी कुछ बचा सकूं।