मेरे दर्द के नगमें
मेरे दर्द के नगमें
कुछ दर्द के नगमें हैं
कोई पराए कोई अपने हैं
जिंदगी की हसीं कशमकश में
हँस के खाई हुई ज़ख्में हैं
कुछ रोती है दास्तानों में
ग़मों की परछाई है
तन्हा बैठे किये, गीतों में
खुशी की आस लगाई है !
कुछ दर्द के नगमें हैं
कोई पराए कोई अपने हैं
जिंदगी की हसीं कशमकश में
हँस के खाई हुई ज़ख्में हैं
कुछ रोती है दास्तानों में
ग़मों की परछाई है
तन्हा बैठे किये, गीतों में
खुशी की आस लगाई है !