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RASHI SRIVASTAVA

Abstract

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RASHI SRIVASTAVA

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अपने पराए

अपने पराए

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अपने पराए कब बन जाते दिल को समझ तब आता है 

अपनों को जब अपना समझ अपनों से धोखा खाता है 


दोस्त यार जो मिलकर रहते, झूठी कसमें खाते हैं 

मतलब जब जाता है निकल यारों से नज़र चुराते हैं 

पैसे ओहदे के पलड़े में जज्बात को तोला जाता है 

अपने पराए कब बन जाते दिल को समझ तब आता है 

अपनों को जब अपना समझ अपनों से धोखा खाता है 


सच्चा प्यार कहाँ मिलता जनम जनम का साथ कहाँ

पल पल में एहसास बदलते वफ़ा का कोई मोल कहाँ

वासना को जब प्यार का चोला पहनाया जाता है 

अपने पराए कब बन जाते दिल को समझ तब आता है 

अपनों को जब अपना समझ अपनों से धोखा खाता है 


मानवता है गिरवी पड़ी लोभ के बाज़ारों में 

दिखती नहीं दया करुणा स्वार्थ के गलियारों में 

जगह मदद के, हादसों का वीडियो बनाया जाता है 

अपने पराए कब बन जाते दिल को समझ तब आता है 

अपनों को जब अपना समझ अपनों से धोखा खाता है 


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