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RASHI SRIVASTAVA

Abstract

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RASHI SRIVASTAVA

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भाई का प्यार

भाई का प्यार

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नदिया की लहरों सा शांत, प्यार भाई का रहता है,

अंतर भावों का सागर, पर मुँह से कुछ न कहता है;

औपचारिकतावश वो तो, उपहार बहन को देता है,

सच्चाई में जीवन ही, उसपे अर्पण कर देता है;

नोंक झोंक भी होती है, पर दिल में कटुता ज़रा नहीं,

एक बहन ने भी तो उस पर, निश्छल प्रेम को वारा है;

इस पवित्र बंधन में बंधना, लगता सबसे प्यारा है ll  



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