सपने
सपने
खुद से अलग हैं मेरे सपने
उड़ते फिरते हैं दिन रात
कभी लहरों संग लहराते
कभी पंछियों संग उड़ते
पतंग संग दूर आसमान छू आते
फूलों की खुशबू चुरा लेते
देर तक लहराते
दूर से इतराते
उफ्फ ये सपने मेरे
हैं अपने मगर लगते हैं पराए।
