STORYMIRROR

Sangeeta Ashok Kothari

Abstract

4  

Sangeeta Ashok Kothari

Abstract

प्यार वो नशा है...

प्यार वो नशा है...

1 min
414

हार वो नतीजा है जो..

इंसान को अंदर से तोड़ देता हैं।


दौलत वो नासाज़ मर्ज़ है जो...

इंसान से इंसान में फ़र्क करा देता है।


अभिमान वो दायरा है जो...

इंसानों की समझ पर पर्दा डालता हैं।


आकर्षण वो तिलस्म है जो...

इंसान जिसमें बस फँसता जाता है। 


प्रेम या प्यार वो नशा है जो...

जिसमें इंसान बागी बन जाता है।


और इंसानियत वो जज्बा हैं जो...

हर इंसान में नहीं पाया जाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract