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Sangeeta Ashok Kothari

Others

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Sangeeta Ashok Kothari

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यादें

यादें

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जो सामने नहीं ज़हन में हैं वो यादें ही हैं,

वो मस्तिष्क में अनायास ही उभरती हैं,

स्वाद से लबरेज़ यादें खट्टी मीठी होती हैं,

मिश्रित यादें सिर्फ अतीत की ही होती हैं,

यादें वयानुसार जवाँ व बूढ़ी भी होती हैं,

यादों के उदगम की नींव मजबूत होती हैं,

जो चाहकर भी भुलायी नहीं जा सकती हैं,

सुखद यादें सोचते ही मुस्कान छा जाती हैं,

पर दुःखद यादों से भ्रूकुटी तन जाती हैं,

यादें कभी रेगिस्तान में बहती नदी लगती हैं,

तो कभी पहाड़ों में फटती ज्वाला- मुखी लगती हैं,

यादें संजोकर रखते क्योंकि कीमती होती हैं,

यादें ग़मगीन होकर हृदय को कचोटती भी हैं,

यादें कठोर होकर रिश्ते ख़त्म कर देती हैं,

यादें ढीठ हैं जी दुत्कारे तो भी याद आती रहती हैं।


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