STORYMIRROR

Sangeeta Ashok Kothari

Others

4  

Sangeeta Ashok Kothari

Others

अस्तित्व

अस्तित्व

1 min
7

रोजमर्रा के जीवन में सुनना पड़ता हैं मण भर,

समझदार मन कह उठता चल छोड़ नज़रअंदाज़ कर,

कई बार जब आक्षेप लगते अपने आत्मसम्मान पर,

तो मन कराह के उठता ना अब सहन ना कर।। 

 

जब-जब भी उठता सवाल स्वयं के व्यक्तित्व पर,

तब-तब ऐसा प्रश्न प्रहार करता मेरे अस्तित्व पर,

सब जानते रिश्ता निभाना कर्तव्य हैं प्रणयपथ पर,

पर इसका ये मतलब तो नहीं सवाल उठे वज़ूद पर।।


इंसान के अस्तित्व के बगैर व्यक्तित्व अधूरा हैं,

कोई अस्तित्व को ललकारे तो दिल जख़्मी होता हैं,

अस्तित्व पहचान,प्रमाण व संस्कार परवरिश का हैं,

जो अस्तित्व नकारे वो चाटुकारिता का नमूना हैं।



Rate this content
Log in