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Sangeeta Ashok Kothari

Inspirational

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Sangeeta Ashok Kothari

Inspirational

ये महकती ख़ुशबू

ये महकती ख़ुशबू

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आज ही तो बारिश की पहली फुहार पड़ी,

लावा उगलती धरती को ठंडक से राहत मिली,

भाँप सी उष्णता मानो तवे पर पानी की बूँदे गिरी,

पर धरा की सौंधी ख़ुशबू अंतर्मन को भा गयी,

ये महकती ख़ुशबू आभामंडल को सुगंधित कर गयी,

राह देख रहे थे जीव जंतु पेड़ पौधे इसी फुहार की।।


सुबह सुबह ही शाम में पकौड़ों की फरमाइशे हो गयी,

आज नाश्ते में गुड़ शीरा व खाने में बनेगी दाल बाटी,

सोचती हूँ जब जल ही जीवन हैं तो जल की कदर क्यों नहीं!

बूँद-बूँद से घड़ा भरता एवं हमारी आधारभूत ज़रूरत पानी, 

तेज धारा से नल चालु करके पानी व्यर्थ बहाते हम यूँ ही,

ध्यान नहीं दिया तो वैश्विक उष्णता छीन लेगी हमारी ज़िन्दगी।।



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