बदलाव आना चाहिए
बदलाव आना चाहिए
शीर्षक - बदलाव आना चाहिए
सब कुछ समर्पण करके भी अपमान सहती है।
सोचकर देखिए नारी किस हालत में रहती है।
कहने को समाज में बदलाव बहुत आया है।
लेकिन अब भी लाखों स्त्रियों को पर्दे में पाया है।
सबके सुख दुःख की साथी है नारी।
फिर भी अबला ही कहलाती है नारी।
स्त्री के जीवन में कोई इतवार नहीं है।
धरती पर ऐसा दूसरा किरदार नहीं है।
मां,बहन,बेटी,बहू,पत्नी और मित्र है।
फिर भी हालत देखिए कितना विचित्र है।
हर घड़ी संदेह के घेरे में रहना पड़ता है।
अपने ही घर में क्या-क्या सहना पड़ता है।
कुल की मर्यादा का पाठ पढ़ाया जाता है।
जीवन भर स्त्री को सिखाया समझाया जाता है।
मनोज अब समाज में बदलाव आना चाहिए।
औरत को भी सर उठाकर जीना मरना चाहिए।