अब जलील मत करो पूछकर यह भूचाल आता क्यों है। अब जलील मत करो पूछकर यह भूचाल आता क्यों है।
गुलों को खिलने को मिलती नहीं सरपरस्त जमीन की दलील है। गुलों को खिलने को मिलती नहीं सरपरस्त जमीन की दलील है।
घुंघरुओं की ताल पर छनक छनक नाचती है गरीबी! घुंघरुओं की ताल पर छनक छनक नाचती है गरीबी!
सामाजिक प्राणी हैं हम सब , हमसे ही निर्मित हो समाज । सामाजिक प्राणी हैं हम सब , हमसे ही निर्मित हो समाज ।
अपने तथाकथित मालिक की थकान को पीने और चुप रहने की आदी दीवारें। अपने तथाकथित मालिक की थकान को पीने और चुप रहने की आदी दीवारें।