वक्त की दुहाई देकर अपनों से दूर जाने लगे वक्त की दुहाई देकर अपनों से दूर जाने लगे
खुला घर ना बरसों, वो खंडहर हुआ ना लगी धूप जिसको, ना पानी हवा। खोल दो खिड़की, ठंडी हवा आने दो लगे ... खुला घर ना बरसों, वो खंडहर हुआ ना लगी धूप जिसको, ना पानी हवा। खोल दो खिड़की, ठ...
आँखों में घूम गए वो पल छुट्टियों के जहाँ सभी खड़े होते थे मेरे इंतज़ार में आँखों में घूम गए वो पल छुट्टियों के जहाँ सभी खड़े होते थे मेरे इंतज़ार में
वो जगह... अब जहाँ वीराने के सिवा कुछ भी नहीं वो दरवाज़ा जिसे मुड़कर तुमने देखा फिर कभ... वो जगह... अब जहाँ वीराने के सिवा कुछ भी नहीं वो दरवाज़ा जिसे मुड़कर ...
बुद्धि और विवेक का, कभी न तजो साथ। बुद्धि और विवेक का, कभी न तजो साथ।
हो चुकी है वो इतनी दुबली अब कोई पतली सी छड़ी दिखती है हो चुकी है वो इतनी दुबली अब कोई पतली सी छड़ी दिखती है