सबेरे का भूला शाम को घर आये तो उसे भुला नहीं कहते हैं। सबेरे का भूला शाम को घर आये तो उसे भुला नहीं कहते हैं।
जब भी होता है हसीं साथ तेरा, लम्हें क्यूं हाथ से फिसलते हैं। जब भी होता है हसीं साथ तेरा, लम्हें क्यूं हाथ से फिसलते हैं।
बुद्धि और विवेक का, कभी न तजो साथ। बुद्धि और विवेक का, कभी न तजो साथ।
इंसान का रूप धरे, मानो दानव कोई इंसान का रूप धरे, मानो दानव कोई
है रंगमंच का प्रादुर्भाव हिन्द देश में नाट्य के सब रूप रंग इसी भूमि में। है रंगमंच का प्रादुर्भाव हिन्द देश में नाट्य के सब रूप रंग इसी भूमि में।
तेरे रूपों से हमने इस धुंध के आर पार देखा। तेरे रूपों से हमने इस धुंध के आर पार देखा।