STORYMIRROR

Raj sharma

Abstract

3  

Raj sharma

Abstract

विश्व रंगमंच दिवस

विश्व रंगमंच दिवस

1 min
370

दुनिया का ये अनोखा रंग मंच 

अभिनय सबका अलग-अलग ।


सभी पड़ाव से गुजरती जिंदगी,

न मालूम कब कौन सा रंग बने।


गिरगिट से आगे बढ़ गया आदमी,

बिना रंग के कमाल की अदाकारी।


गुजर गई जिंदगी सिमटा सपनों में 

फिर भी हरेक अभिनय अधूरा रहा।


है रंगमंच का प्रादुर्भाव हिन्द देश में

नाट्य के सब रूप रंग इसी भूमि में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract